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Tuesday, January 19, 2016

कितनी असरदार रहेगी स्टार्टअप पॉलिसी ! और क्या दिखी इसमें कमी

कितनी असरदार रहेगी स्टार्टअप पॉलिसी ! और क्या दिखी इसमें कमी 

अगर कोई कर रहा हो स्टार्टअप या सोच रहा हो इसके बारे में तो एक बार जरूर पड़े ये खबर 



स्टार्टअप इंडिया एक्शन प्लान ने भले ही नए बिजनेस के लिए मूड अच्छा बना दिया हो। लेकिन इसके फाइन प्रिंट्स ने अब भी कई सवाल छोड़ दिए हैं। ना तो स्टार्टअप की परिभाषा साफ की गई, ना ही टैक्स हॉलिडे के प्रस्ताव आकर्षक बनाए गए। नए उद्यमियों की सभी दिक्कतें दूर करने का दावा करने वाली स्टार्टअप इंडिया पॉलिसी लॉन्च होने के साथ ही सवालों के घेरे में आ गई है। पॉलिसी में कहा गया है कि 3 साल तक स्टार्टअप के मुनाफे पर टैक्स नहीं लगेगा, लेकिन सच्चाई ये है कि स्टार्टअप को फायदा कमाने में औसतन 3 से 5 साल लग जाते हैं।

स्टार्टअप्स की एक बड़ी मांग कम से कम 3 साल के लिए सर्विस टैक्स और वैट में छूट थी जिसका जिक्र पॉलिसी में नहीं है। पॉलिसी में प्रस्तावित छूट के हकदार भी वही स्टार्टअप्स होंगे, जिन्हें एक इंटर मिनिस्ट्रियल बोर्ड मान्यता देगा। यानी मिनिमम गवर्नेंस का दावा भी हवा-हवाई हो गया।

इस एक्शन प्लान में विदेशों में रजिस्टर्ड कंपनियों को वापस लाने की भी कोई योजना नहीं है। साथ ही स्टार्टअप्स की परिभाषा को लेकर भी कोई साफ बात नहीं की गई है। ऐसे में स्टार्टअप इकोसिस्टम बजट का इंतजार कर रहा है, जब पॉलिसी को लेकर थोड़ी और सफाई आएगी

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Saturday, January 16, 2016

मजेदार तरीके से बचत के रास्ते! क्या हो सकते है फायदे ?

आसान समज से बने अमीर और दिखाए समझदारी, 
समझदारी ही आपकी सफलता की पूंजी है...


मंदी शब्द सुनने में बहुत बुरा लगता है। वैश्वीकरण के दौर में एक देश की खराब अर्थव्यवस्था का असर औरों पर भी पड़ता है क्योंकि सीधे या अप्रत्यक्ष तौर पर सभी एक दूसरे से जुडे हुए हैं। अमेरिका में हो रहे थोड़े से बदलावों का असर काफी दूर तक पहुंच सकता है। तो ऐसे में ये देखना समझदारी होगी कि आपका पैसा कहां खर्च हो रहा है और आपकी मेहनत से कमाई हुई पूंजी का कैसे इस्तेमाल हो रहा है।

यहां हम आपको कुछ ऐसे छोटे मगर असरदार सुझाव बताएंगे जो आपको उचित रहन-सहन बनाए रखने में मदद करेंगे। साथ ही इनकी मदद से आप बचत करने के नए तरीकों और आदतों के बारे में भी सीख सकते हैं। 

आप अपना पैसा कहां खर्च करते हैं ?

अगर आप घर के कमाऊ व्यक्ति हैं तो ये माना जा सकता है कि आपके मुख्य खर्चे घरवालों के भोजन, मनोरजंन और खरीदारी पर होते होंगे।

बाहर खाना-पीना

बाहर खाना-पीना जरूरत से ज्यादा फैशन बनता जा रहा है। लोगों के बढ़ते आलस, रोमांच या आदत के चलते आज रेस्त्रां इंडस्ट्री काफी तेजी से बढ़ रही है। जब आप बाहर खाते हैं तो आप बेहतर, सर्विस, गुणवत्ता और माहौल की अपेक्षा करते हैं। कठिनाई के समय में भी आप बाहर खाने के मजे कैसे उठा सकते हैं।

डिनर की बजाए लंच पर बाहर जाएं- बाहर खाना है तो डिनर की बजाए लंच पर भी अच्छे मेनू और बुफे का लुत्फ उठा सकते हैं।

अपने दोस्तों और संबंधियों से पूछें- कि हाल ही में उन्होंने किस बेहतर जगह खाना खाया था। इससे आप सस्ती और बढ़िया जगह ढूंढ सकते हैं।

बाहर जाने से पहले घर पर एक ड्रिंक का आनंद लें- अपने खाने का बिल आधा करने का ये एक अच्छा विकल्प है। आजकल कुछ रेस्त्रां भी हैप्पी आवर्स के रूप में ऐसी सुविधा मुहैया कराते हैं।

कैश वाउचर का इस्तेमाल करें- लोकल मैगजीन में आपको कुछ वाउचर मिल सकते हैं जिन्हें इस्तेमाल करके आप स्वादिष्ट भोजन का आनंद कम कीमत पर ले सकते हैं।

समूह में बाहर खाना खाने जाएं- पहली नजर में ये कुछ अटपटा लग सकता है, लेकिन बाहर खाना खाने में कंपनी भी मिल जाएगी और जब बिल आएगा तो कुछ बचत भी होगी।

सप्ताहांत पर बाहर खाने से बचें- ज्यादातर जगहों पर वीकएंड में कवर/एंट्रैंस चार्ज होता है, साथ ही ज्यादा लोगों के चलते सेवाओं में भी कुछ देरी देखने को मिलती है।

मार्केटिंग संदेशों को डिलीट ना करें- कई रेस्त्रां अपने ग्राहकों को डिस्काउंट देते हैं, अगर उनके पास एसएमस हों तो, तो अब से अपने मार्केटिंग संदेशों को डिलीट करने से पहले जांच लें।

ध्यान रखें- शुरूआत में एपेटाइजर मंगाएं और मेन कोर्स को दोस्त के साथ शेयर करें, मीठे को छोड़ा भी जा सकता है।

फैंसी जगहों का लालच छोड़ें- पास के ढाबे का खाना चखकर देखें-हो सकता है कि ढ़ाबे का खाने का स्वाद आपको हैरान कर दे और पैसे तो बचेंगे ही।

अतिरिक्त खाना- बचे हुए खाने को साथ में ले जा सकते हैं, रेस्त्रां का बचा खाना अगले दिन के लिए लंच का काम कर सकता है।

मनोरंजन

लोकल अखबार और मैग्जीन देखें और जानें कि शहर में क्या हो रहा है- आप निश्चित तौर पर ये देखकर हैरान हो जाएंगे कि आपके शहर में कितनी सांस्कृतिक, साहित्यिक और आध्यात्मिक हलचल होती रहती हैं, वो भी हर सप्ताह। सबसे बड़ी बात है कि इसमें से कई मुफ्त होती हैं और कुछ की कीमत आपकी फिल्म की टिकट के आधे के बराबर हो सकती है।

अपने आप को किसी शौक में डुबोएं- इसके जरिए आप ना केवल नई चीजें सीख पाएंगे, बल्कि क्राफ्ट के अपने पुराने शौक को आजमा पाएंगे और नए लोगों से भी मिल पाएंगे। इसके जरिए आपको एक क्रियात्मक संतुष्टि भी मिलेगी और शायद आप कुछ नए लोगों से भी मिल सकते हैं।

अपने शहर को फिर से जानें- चाहें किसी लोकल पार्क में जाएं या किसी ऐतिहासिक जगह या संग्रहालय को देखने जाएं जिसे अब तक आपने जानने की जरूरत नहीं समझी थी।

फिल्म देखनी ही है तो हफ्ते के बीच में देखें- आमतौर पर फिल्म की टिकटें हफ्ते के बीच में सस्ती होती हैं, जैसे सोमवार या मंगलवार को।

घर पर ही मनोरंजन करें- अपने दोस्तों को घर बुलाएं, संगीत सुनें, खेल खेलते हुए मजेदार शाम का लुत्फ उठाएं।  

खरीदारी

चाहें घर का जरूरी सामान लाना हो या राशन, किराने का सामान, आप बाजार जाने से खुद को रोक नहीं सकते हैं। अगर आप बचत करने की सोच रहे हैं तो फालतू खरीदारी करने से खुद को रोकना ही होगा वर्ना बचत के बाकी सारे उपाय व्यर्थ हो सकते हैं।

हमेशा ब्राण्डेड उत्पादों के पीछे ना भागें- चाहें तो कुछ सस्ते उत्पाद भी खरीद सकते हैं जो आपके काम को पूरा कर सकते हैं।

इकट्ठा सामान खरीदें- अगर आप समझदारी से खरीदारी करें तो काफी बचत कर सकते हैं। लंबे समय तक चलने वाले उत्पाद जैसे साबुन, शैंपू, क्लीनिंग प्रोडक्ट को इकट्ठा खरीदने से आप एक बार बड़ा खर्च करते हैं, लेकिन लंबे समय तक खर्च से बच जाते हैं। अगर इन्हें किसी के साथ बांटते हैं तब आपकी लागत और भी कम हो सकती है।

केवल शौकिया खरीदारी के लिए बाजार ना जाएं- तभी खरीदारी करने की सोचें जब आपको वास्तव में जरूरत हो। सामान की लिस्ट बनाएं और जितना जरूरी हो उतना ही खरीदें।

रेडी टू ईट के जाल से बचें- ये ना तो सेहतमंद होते हैं और बजट को तो कई गुना बढ़ाते ही हैं।

परिवार के साथ शॉपिंग पर ना जाएं- अगर आपके युवा बच्चे हैं तो आपका बिल बढ़ता जाएगा और आपको पता भी नहीं चलेगा।

डिस्काउंट का फायदा उठाएं और फैक्ट्री आउटलेट पर पैसे बचाए- ऐसे स्टोर में कई बार आपको भारी वैराइटी आकर्षक दामों पर मिल सकती है।

मिक्स एंड मैच करके कपड़े खरीदें- अलग-अलग कपड़े खरीदना मतलब वॉर्डरोब को अनावश्यक भरना, और ऐसे सूट खरीदना जो काफी महंगे हों। बेहतर होगा कि मिक्स एंड मैच की रणनीति अपनाई जाए।

धोकर पहनने लायक कपड़े खरीदें- ड्राइ-क्लीनिंग महंगी भी होती है और पर्यावरण के लिए भी नुकसानदायक होती है क्योंकि इसमें सफाई के लिए पेट्रोलियम का प्रयोग होता है।

ऑनलाइन शॉपिंग दिलाए ज्यादा फायदा- इसके जरिए पेट्रोल भी बचता है और आपको सस्ती लागत पर उत्पाद मिल सकते हैं, क्योंकि ज्यादातर ऑनलाइन शॉपिंग पर छूट मिलती है।

सिर्फ सेल के लालच में खरीदारी करने ना निकलें- कई सेल में ऐसे उत्पाद बेचे जाते हैं जो घटिया क्वालिटी के होते हैं और आप उन्हें सस्ते नहीं बल्कि महंगे ही ले लेते हैं क्योंकि ये किसी काम के नहीं होते हैं। तो बेहतर होगा कि आप ऐसी लुभावनी सेल से दूर ही रहें।

तो कुल मिलाकर हमने यहां कई ऐसे उपाय बताए हैं जिनसे पैसे भी बचेंगे और जीवनशैली भी प्रभावित नहीं होगी। बस आपको थोड़ा सा होमवर्क करने की जरूरत है और कुछ समझदारी अपनाने की जरूरत है।

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Thursday, January 14, 2016

सही निवेश के गुर आजमाकर बने स्मार्ट इन्वेस्टर

सही निवेश के गुर आजमाकर बने स्मार्ट इन्वेस्टर 

आमदनी अठ्टनी खर्चा रूपया। की कहावत सब जानते है मगर आमदनी अट्ठनी बचत का रुपया का राज क्या है ? जाने ...


आमदनी अठ्टनी खर्चा रूपया। आजकल, अमूमन, हर किसी की ये ही कहानी है। लेकिन, क्या ऐसा कभी हो सकता है, के खर्च के लिए भी आपके पास पैसे हों, और साथ ही आपका निवेश और बचत भी लगातार बढते रहे। आप सोचेगें, शायद नही, लेकिन यहीं काम आता है आपका फाइनेंशियल गुरू योर मनी। योर मनी में हम एक बार फिर हाजिर है आपको निवेश के वो गुर बताने, जिन्हें आजमाकर आप बन सकते हैं एक स्मार्ट इन्वेस्टर। और आज आपको फाइनेंशियल एडवाइस देने के लिए जुड़ेंगे हमारे एक्सपर्ट।

सवालः आईसीआईसीआई डायनामिक रेगुलर, आईसीआईसीआई वैल्यू डिस्कवरी, आईसीआईसीआई फोकस्ड ब्लूचिप इक्विटी में प्रति माह 2,000-2,000 रु और एचडीएफसी मिडकैप में प्रति माह 1,000 का निवेश करता हूं। पिछले 9 महीनों से निवेश कर रहा हूं, अब तक कोई फायदा नहीं हुआ है, सलाह दें।

एक्सपर्ट की राय : आपके पोर्टफोलियो का डाइवर्सिफिकेशन बढ़िया है। हालांकि एक ही म्युचुअल फंड हाउस में आपका निवेश ज्यादा है। इक्विटी में कम से कम 3-5 साल निवेश करना जरूरी है। छोटी अवधि में इक्विटी निवेश में भारी उतार-चढ़ाव का जोखिम है। फंड का प्रदर्शन देखने के लिए 9 महीने की अवधि काफी कम है। आईसीआईसीआई डायनामिक फंड से निकलकर आप एसबीआई मैग्नम ब्लूचिप में निवेश करें। 

सवालः मेरी उम्र 31 साल है और सालाना आय 4 लाख रु है। मेरे पास 60 लाख रु का टर्म इंश्योरेंस और10 लाख रु का हेल्थ इंश्योरेंस है। मेरे पोर्टफोलियो में एसबीआई ब्लूचिप, रिलायंस इक्विटी ऑपर्च्युनिटीज, आईसीआईसीआई प्रू फोकस ब्लूचिप इक्विटी और एचडीएफसी मिडकैप ऑपर्च्युनिटीज फंड है। 10-12 साल तक एसआईपी के जरिए निवेश करना चाहता हूं, 15-20 फीसदी सालाना रिटर्न कमाना चाहता हूं, सलाह दें।

एक्सपर्ट की राय : आपकी फाइनेंशियल प्लानिंग सही दिशा में है। 70:30 के रेश्यो में इक्विटी और डेट में निवेश करें। सीधे शेयरों में निवेश की सलाह नहीं होगी। शेयरों में निवेश के बाद उनके प्रदर्शन पर नजर रखना भी जरूरी है। आप अपने सभी म्युचुअल फंड में बने रहें और डेट के लिए पीपीएफ और डेट म्युचुअल फंड में निवेश करें। डेट म्युचुअल फंड में आप आईसीआईसीआई प्रू रेगुलर सेविंग्स और कोटक इनकम ऑपर्च्युनिटी फंड देख सकते हैं।

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Wednesday, January 13, 2016

निवेश में धोखे से कैसे बचें ? आईये जाने यहाँ

निवेश में धोखे से कैसे बचें  (How to avoid investment frauds)
आज आपको कुछ साधारण किस्म के धोखों से बचने के उपायों के बारे में बताते हैं जो कि अक्सर आपके एजेंट Agents कर जाते हैं। निवेश और बीमा में अक्सर गुमराह करके प्लान बेच दिया जाता है. जानकारी के अभाव में अकसर एजेंट द्वारा जो बताया जाता है उसी पर ग्राहक विश्वास करा लेता है. यहाँ हम आपको निबेश में धोखे से बचने के कुछ उपाय बता रहे हैं जिससे कि आप जब निवेश करें तो सावधान रहें और धोखा ना खाएं.

मेरे एक मित्र ने निवेश Invest तो किया था म्यूचल फंड Mutual Fund में मगर एजेंट Agent ने उन्हें यूलिप Ulip बेच दिया। कई बार ऐसा होता है कि एजेंट Agent सपने तो किसी और प्लान या प्रोडक्ट के दिखाते हैं मगर जब वास्तव में आपके पास निवेश के कागज पहुंचते हैं तो उसमें कुछ और ही निकलता है। कई निवेशक Investors तो आलस के कारण या जानकारी न होने के कारण प्राप्त कागजों को देखते भी नहीं कि उन्हें जो निवेश के कागजात मिले हैं उनमें सब कुछ सही है कि नहीं।
 आपको हमने पहले भी इस बात के लिये आगाह किया था कि कैसे कुछ एजेंट Agent बड़े बड़े वादे करके कुछ भी बेच देते हैं। यह भी बताया था कि किस तरह से अपने एजेंट का चुनाव करें। इसके बाद जब आप कोई निवेश करते हैं निवेश के कागज़ प्राप्त होने के बाद क्या करना है आज हम आपको वही बताना चाहते हैं:

1. जिस स्कीम में निवेश किया था क्या यह वही है: बहुत जरूरी है यह जांचना कि आपने जिस स्कीम में देखभाल कर और अपनी जरूरत के हिसाब से निवेश किया था क्या प्राप्त कागजात उसी स्कीम में निवेश हुए हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि एजेंट ने अपनी कमीशन के चक्कर में आपको कोई ऐसा प्लान दे दिया हो जो आपकी जरूरतों के मुताबिक ही न हो। यहां म्यूचल फंड और यूलिप (ULIP) में अंतर को समझना भी जरूरी है। म्यूचल फंड Mutual Funds मध्यम समय (पांच से सात वर्ष) के लिये निवेश के लिये उत्तम हैं और यूलिप Ulip दस साल या उससे अधिक समय के लिये। यूलिप Ulip में पहले वर्ष में ज्यादा चार्जेस कटते हैं मगर लम्बी अवधी में यूलिप म्यूचल फंड से भी ज्यादा फायदेमंद साबित होता है।


2. बाकी जानकारी भी देखें : अच्छी तरह से देख लें कि आपका नाम, आपका पता, जन्म की तारीख, संपर्क नंबर, नामित व्यक्ति (nominee) का नाम जैसी जरूरी जानकारी सही से भरी है कि नहीं। याद रखें कि यदि आपने कभी कोई बीमा या यूलिप लिया है और इनमें से कोई जानकारी सही नहीं है तो क्लेम लेने में कई तरह की दिक्कतें भी आ सकती हैं। कुछ कंपनियां आपके द्वारा भेजे गये फार्म की कापी भी करवा कर आपको भेजतीं हैं उसे भी अच्छी तरह जांच लें कि आपके फार्म भरने के बद एजेंट ने उस में कोई बदलाव तो नहीं किये हैं।

3. प्लान के नियम व शर्तें: बहुत लंबी, उबाउ और कानूनी भाषा मे लिखे यह नियम व शर्तें जरूर पढ़ें। कुछ समझ न आये तो किसी जानकार से उसके बारे में जानने से परहेज न करें। अधिकतर कंपनियां कस्टमर्स केयर नंबर भी देतीं हैं वहां संपर्क करें या स्वंय कंपनी के कार्यालय/शाखा में जायें।

4. शुल्क तथा प्रभार: यह भी देख लें कि जैसा बताया गया था क्या शुल्क तथा प्रभार वैसे ही लगे हैं या ज्यादा लगे हैं। भविष्य में लगने वाले प्रभारों की भी जानकारी लें।

इस सब को देखने के बाद और सब कुछ सही पाने के बाद अपने कागजों को संभाल कर रखें। हो सके तो किसी प्लास्टिक की फाइल या फोल्डर में ही रखें। लकड़ी की अलमारी के बजाये लोहे की अलमारी में रखना ज्यादा सुरक्षित है। जहां भी रखें अपने घर के जिम्मेदार व्यक्तियों को अवश्य बतायें। अपने एजेंट का विजिटिंग कार्ड अपने निवेश के कागजों के साथ रखें जिससे कि समय असमय संपर्क करने में आसानी रहे।

अगली बार आपको बतायेंगे कि यदि आपको एजेंट आपको धोखा दे जाये तो उससे कैसे निबटें।

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Thursday, December 31, 2015

Shares may be the leader, then select whom you

Shares may be the leader, then select whom you

शेयर अगर नेता हो जाएं, फिर किसे चुनेंगे आप



Share what will become the leader, say the market to choose the leader who then choose to take care of your portfolio. So what should be the leader of shares of stock which leader meets skilfully, here you can learn.

शेयर अगर नेता हो जाएं तो क्या होगा, मान लीजिए कि अगर बाजार का नेता चुनना हो तो किसे चुनेंगे जो आपके पोर्टफोलियो की देखभाल कर सके। शेयर अगर नेता हो जाएं तो किस शेयर की खूबी किस नेता से मिलती है, यहां आप जान सकते हैं।

1- Modi Shares: Maruti Suzuki

Maruti Suzuki has returned 39 percent in 2015 and is typical of the share that goes on in these market conditions. As is typical of prime minister after criticism that they are not scared.

1- मोदी शेयर: मारुति सुजुकी
2015 में मारुति सुजुकी में 39 फीसदी का रिटर्न मिला है और इस शेयर की खासियत है कि ये बाजार की विपरीत परिस्थितियों में भी चलता रहा। जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खासियत है कि वो आलोचनाओं के बाद भी घबराते नहीं हैं।

2. Gadkari Shares: Ashok Leyland

Ashok Leyland has returned 75 per cent in 2015 and is typical of the shares that have risen steadily over the years. The Transport Minister Nitin Gadkari is also typical of the better performers this year they are ministers.

2. गडकरी शेयर: अशोक लेलैंड
अशोक लेलैंड ने 2015 में 75 फीसदी रिटर्न दिया है और इस शेयर की खासियत है कि इसमें साल भर धीरे-धीरे तेजी आई है। वहीं सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की खासियत भी है कि वो इस साल सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले मंत्री रहे हैं।

3. Rahul Shares: Suzlon

Suzlon has returned 34 percent in 2015. Rahul Gandhi is typical of the way that he is not taken seriously even after considerable efforts to Suzlon same way no matter how good the news.

3. राहुल शेयर: सुजलॉन
2015 में सुजलॉन ने 34 फीसदी का रिटर्न दिया है। जिस तरह कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की खासियत है कि उन्हें काफी कोशिशों के बाद भी कोई गंभीरता से नहीं लेता उसी तरह सुजलॉन को भी कितनी भी अच्छी खबर हो कोई फर्क नहीं पड़ता है।

Kejriwal, who will share the market, so we have to wonder Cairn and Vedanta are difficult, make it easier to share Kejriwal. Is typical of these two stocks that have recovered from the burden of the bad news. Kejriwal situation is somewhat similar. Always uproar and become their habit is bad atmosphere.

बाजार का केजरीवाल शेयर कौन होगा, सोच में पड़ गए तो हम आपकी मुश्किल आसान कर देते हैं- केर्न और वेदांता हैं केजरीवाल शेयर। इन दोनों शेयरों की खासियत है कि ये बुरी खबरों के बोझ से उबर नहीं पाए हैं। केजरीवाल की भी स्थिति कुछ ऐसी ही है। हमेशा हंगामा खड़ा करना और माहौल खराब करना उनकी आदत हो गई है।

4- Kejriwal Share: Cairn and Vedanta

Kern had negative returns of 42 per cent in 2015 to 57 per cent, while Vedanta negative returns. Is typical of these shares that they are unable to recover from the burden of bad news and this is also typical of Kejriwal. Always uproar and to spoil the atmosphere.

4- केजरीवाल शेयर: केर्न और वेदांता
2015 में केर्न ने 42 फीसदी का निगेटिव रिटर्न दिया है जबकि वेदांता को 57 फीसदी की निगेटिव रिटर्न मिला है। इन शेयर की खासियत है कि ये बुरी खबरों के बोझ से उबर नहीं पा रहे हैं और केजरीवाल की खासियत भी यही है। हमेशा हंगामा खड़ा करना और माहौल खराब करना।

Now let's talk Nitish stock. Our Nitish shares InterGlobe Aviation, it's great record. As a result, the day turned Abisasn shares. Like a fool Kumar, who won for the third time in Bihar Nitish, Lalu Prasad has led the Congress got a life.

अब बात करते हैं नीतीश शेयर की। हमारा नीतीश शेयर है इंटरग्लोब एविएशन, शानदार लिस्टिंग की है इसने। इसके चलते एविशएशन शेयरों के दिन फिर गए। एक दम नीतीश की तरह, बिहार में लगातार तीसरी बार जीते हैं नीतीश बाबू इनके चलते लालू और कांग्रेस को भी जीवनदान मिल गया।

5- Nitish Share: InterGlobe Aviation (Indigo)

In the year 2015, 56 per cent have InterGlobe Aviation. This is typical of the steamed listing shares in the IPO market as well, it has brought lively. Bihar Chief Minister Nitish Kumar's typical of the way that He won steamed and Laloo in Bihar, the Congress won dropped.

5- नीतीश शेयर: इंटरग्लोब एविएशन (इंडिगो)
इंटरग्लोब एविएशन ने साल 2015 में 56 फीसदी रिटर्न दिया है। इस शेयर की खासियत है कि धमाकेदार लिस्टिंग के साथ ही इसने आईपीओ बाजार में रौनक ला दी। जिस तरह बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की खासियत है कि उन्होंनें बिहार में धमाकेदार जीत दिलाई और लालू, कांग्रेस को जीवनदान भी दिलाया।


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